सामग्री की तालिका
14 संबंधों: तरंगदैर्घ्य, निहारिका, न्यूटन (इकाई), नीदरलैण्ड, प्रकाश-वर्ष, प्रकाशिक यंत्र, प्रकाशीय दूरदर्शी, रेडियो तरंग, रेडियो दूरदर्शक, हबल अंतरिक्ष दूरदर्शी, जेम्स वेब खगोलीय दूरदर्शी, विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम, खगोल शास्त्र, आकाशगंगा।
- खगोलीय उपकरण
- खगोलीय चित्रण
तरंगदैर्घ्य
साइन-आकारीय अनुप्रस्थ तरंग का तरंगदैर्घ्य, '''λ''' भौतिकी में, कोई साइन-आकार की तरंग, जितनी दूरी के बाद अपने आप को पुनरावृत (repeat) करती है, उस दूरी को उस तरंग का तरंगदैर्घ्य (wavelength) कहते हैं। 'दीर्घ' (.
देखें दूरदर्शी और तरंगदैर्घ्य
निहारिका
चील नॅब्युला का वह भाग जिसे "सृजन के स्तम्भ" कहा जाता है क्योंकि यहाँ बहुत से तारे जन्म ले रहे हैं। त्रिकोणीय उत्सर्जन गैरेन नीहारिका (द ट्रेंगुलम एमीशन गैरन नॅब्युला) ''NGC 604'' नासा द्वारा जारी क्रैब नॅब्युला (कर्कट नीहारिका) वीडियो निहारिका या नॅब्युला अंतरतारकीय माध्यम (इन्टरस्टॅलर स्पेस) में स्थित ऐसे अंतरतारकीय बादल को कहते हैं जिसमें धूल, हाइड्रोजन गैस, हीलियम गैस और अन्य आयनीकृत (आयोनाइज़्ड) प्लाज़्मा गैसे उपस्थित हों। पुराने जमाने में "निहारिका" खगोल में दिखने वाली किसी भी विस्तृत वस्तु को कहते थे। आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) से परे कि किसी भी गैलेक्सी को नीहारिका ही कहा जाता था। बाद में जब एडविन हबल के अनुसन्धान से यह ज्ञात हुआ कि यह गैलेक्सियाँ हैं, तो नाम बदल दिए गए। उदाहरण के लिए एंड्रोमेडा गैलेक्सी (देवयानी मन्दाकिनी) को पहले एण्ड्रोमेडा नॅब्युला के नाम से जाना जाता था। नीहारिकाओं में अक्सर तारे और ग्रहीय मण्डल जन्म लेते हैं, जैसे कि चील नीहारिका में देखा गया है। यह नीहारिका नासा द्वारा खींचे गए "पिलर्स ऑफ़ क्रियेशन" अर्थात् "सृष्टि के स्तम्भ" नामक अति-प्रसिद्ध चित्र में दर्शाई गई है। इन क्षेत्रों में गैस, धूल और अन्य सामग्री की संरचनाएं परस्पर "एक साथ जुड़कर" बड़े ढेरों की रचना करती हैं, जो अन्य पदार्थों को आकर्षित करता है एवं क्रमशः सितारों का गठन करने योग्य पर्याप्त बड़ा आकार ले लेता हैं। माना जाता है कि शेष सामग्री ग्रहों एवं ग्रह प्रणाली की अन्य वस्तुओं का गठन करती है। .
देखें दूरदर्शी और निहारिका
न्यूटन (इकाई)
न्यूटन का प्रयोग इन अर्थों में किया जाता है.
देखें दूरदर्शी और न्यूटन (इकाई)
नीदरलैण्ड
नीदरलैण्ड नीदरलैंड युरोप महाद्वीप का एक प्रमुख देश है। यह उत्तरी-पूर्वी यूरोप में स्थित है। इसकी उत्तरी तथा पश्चिमी सीमा पर उत्तरी समुद्र स्थित है, दक्षिण में बेल्जियम एवं पूर्व में जर्मनी है। नीदरलैंड की राजधानी एम्सटर्डम है। "द हेग" को प्रशासनिक राजधानी का दर्जा दिया जाता है। नीदरलैंड को अक्सर हॉलैंड के नाम संबोधित किया जाता है एवं सामान्यतः नीदरलैंड के निवासियों तथा इसकी भाषा दोनों के लिए डच शब्द का उपयोग किया जाता है। .
देखें दूरदर्शी और नीदरलैण्ड
प्रकाश-वर्ष
प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या तारों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .
देखें दूरदर्शी और प्रकाश-वर्ष
प्रकाशिक यंत्र
सन् १८५८ में इंग्लैण्ड में उपलब्ध कुछ प्रकाशिक यन्त्र प्रकाशिक यंत्र (optical instrument) किसी प्रकाश तरंगों का प्रसंस्करण करते हैं ताकि किसी छवि की गुणवत्ता बढ़ायी जा सके या प्रकाश तरंगों (फोटॉन) का विश्लेषण करते हैं ताकि उस तरंग के बहुत से वैशिष्ट्यों में से किसी एक का मान निकाला जा सके। .
देखें दूरदर्शी और प्रकाशिक यंत्र
प्रकाशीय दूरदर्शी
आठ-इंच वाला अपवर्तक दूरदर्शी प्रकाशीय दूरदर्शी (optical telescope) ऐसा दूरदर्शक है जो दूरस्थ पिण्ड का आवर्धित प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिये विद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम के दृश्य भाग का सहारा लेता है। (न कि एक्स-रे या रेडियो तरंगों का)। इससे प्राप्त प्रतिबिम्ब को सीधे आंख से देखा जा सकता है, फोटोग्राफ लिया जा सकता है या इलेक्ट्रानिक इमेज सेंसरों की सहायता से आंकड़े संचित किये जा सकते हैं। प्रकाशीय दूरदर्शी मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं-.
देखें दूरदर्शी और प्रकाशीय दूरदर्शी
रेडियो तरंग
रेडियो और टेलीविजन प्रसारण के लिए प्रयुक्त ऐण्टेना रेडियो तरंगें (radio waves) वे विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, जिनका तरंगदैर्घ्य १० सेण्टीमीटर से १०० किमी के बीच होता है। ये मानवनिर्मित भी होती हैं और प्राकृतिक भी। मानव की कोई इंद्रिय इन्हें पहचान नहीं सकती बल्कि ये किसी अन्य तकनीकी उपकरण (जैसे, रेडियो संग्राही) द्वारा पकड़ी एवं अनुभव की जातीं हैं। इनका प्रयोग मुख्यतः बिना तार के, वातावरण या बाहरी व्योम के द्वारा सूचना का आदान प्रदान या परिवहन में होता है। इन्हें अन्य विद्युत चुम्बकीय तरंगों से इनकी तरंग दैर्घ्य के अधार पर पृथक किया जाता है, जो अपेक्षाकृत अधिक लम्बी होती है। .
देखें दूरदर्शी और रेडियो तरंग
रेडियो दूरदर्शक
१०० मीटर का रेडियो दूरदर्शक रेडियो दूरदर्शक या रेडियो दूरदर्शी (Radio telescope) एक प्रकार का दिशिक रेडियो ऐण्टेना (directional radio antenna) है जो रेडियो खगोलिकी के क्षेत्र में काम आता है। प्रायः ये परवलीय (पैराबोलिक) आकार के विशाल ऐण्टेना होते हैं जो अकेले या समूह (array) में प्रयुक्त होते हैं। इसी तरह के ऐण्टेना कृत्रिम उपग्रहों को ट्रैक करने तथा उनसे डेटा प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है। रेडियो दूरदर्शक प्रकाशीय दूरदर्शक से इस मामले में अलग हैं कि ये विद्युतचुम्बकीय विकिरण के रेडियो आवृत्ति वाले भाग में काम करते हैं न कि 'ड्रिष्य प्रकाश' वाले भाग में। रेडियो वेधशालाएँ प्रायः आबादी वाले स्थानों से बहुत दूर लगायी जाती हैं ताकि रेडियो, टीवी, रैडार आदि का व्यतिकरण (इंटरफेरेम्स) वहाँ कम से कम हो। .
देखें दूरदर्शी और रेडियो दूरदर्शक
हबल अंतरिक्ष दूरदर्शी
हबल अंतरिक्ष दूरदर्शी (Hubble Space Telescope (HST)) वास्तव में एक खगोलीय दूरदर्शी है जो अंतरिक्ष में कृत्रिम उपग्रह के रूप में स्थित है, इसे २५ अप्रैल सन् १९९० में अमेरिकी अंतरिक्ष यान डिस्कवरी की मदद से इसकी कक्षा में स्थापित किया गया था। हबल दूरदर्शी को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ' नासा ' ने यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी के सहयोग से तैयार किया था। अमेरिकी खगोलविज्ञानी एडविन पोंवेल हबल के नाम पर इसे ' हबल ' नाम दिया गया। यह नासा की प्रमुख वेधशालाओं में से एक है। पहले इसे वर्ष १९८३ में लांच करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन कुछ तकनीकी खामियों और बजट समस्याओं के चलते इस परियोजना में सात साल की देरी हो गई। वर्ष १९९० में इसे लांच करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि इसके मुख्य दर्पण में कुछ खामी रह गई, जिससे यह पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पा रहा है। वर्ष १९९३ में इसके पहले सर्विसिंग मिशन पर भेजे गए वैज्ञानिकों ने इस खामी को दूर किया। यह एक मात्र दूरदर्शी है, जिसे अंतरिक्ष में ही सर्विसिंग के हिसाब से डिजाइन किया गया है। वर्ष २००९ में संपन्न पिछले सर्विसिंग मिशन के बाद उम्मीद है कि यह वर्ष २०१४ तक काम करता रहेगा, जिसके बाद जेम्स वेब खगोलीय दूरदर्शी को लांच करने कि योजना है। .
देखें दूरदर्शी और हबल अंतरिक्ष दूरदर्शी
जेम्स वेब खगोलीय दूरदर्शी
100px जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरदर्शी (James Webb Space Telescope (JWST)) एक प्रकार की अवरक्त अंतरिक्ष वेधशाला है। यह हबल अंतरिक्ष दूरदर्शी का वैज्ञानिक उत्तराधिकारी और आधुनिक पीढ़ी का दूरदर्शी है, जिसे जून २०१४ में एरियन ५ राकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा। इसका मुख्य कार्य ब्रह्माण्ड के उन सुदूर निकायों का अवलोकन करना है जो पृथ्वी पर स्थित वेधशालाओं और हबल दूरदर्शी के पहुँच के बाहर है। JWST, नासा और यूनाइटेड स्टेट स्पेस एजेंसी की एक परियोजना है जिसे यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA), केनेडियन स्पेस एजेंसी (CSA) और पंद्रह अन्य देशों का अन्तराष्ट्रीय सहयोग प्राप्त है। इसका असली नाम अगली पीढ़ी का अंतरिक्ष दूरदर्शी (Next Generation Space Telescope (NGST)) था, जिसका सन २००२ में नासा के द्वितीय प्रशासक जेम्स एडविन वेब (१९०६-१९९२) के नाम पर दोबारा नामकरण किया गया। जेम्स एडविन वेब ने केनेडी से लेकर ज़ोंनसन प्रशासन काल (१९६१-६८) तक नासा का नेतृत्व किया था। उनकी देखरेख में नासा ने कई महत्वपूर्ण प्रक्षेपण किए, जिसमे जेमिनी कार्यक्रम के अंतर्गत बुध के सारे प्रक्षेपण एवं प्रथम मानव युक्त अपोलो उड़ान शामिल है। JWST की कक्षा पृथ्वी से परे पंद्रह लाख किलोमीटर दूर लग्रांज बिन्दु L2 पर होगी अर्थात पृथ्वी की स्थिति हमेंशा सूर्य और L2 बिंदु के बीच बनी रहेगी। चूँकि L2 बिंदु में स्थित वस्तुएं हमेंशा पृथ्वी की आड़ में सूर्य की परिक्रमा करती है इसलिए JWST को केवल एक विकिरण कवच की जरुरत होगी जो दूरदर्शी और पृथ्वी के बीच लगी होगी। यह विकिरण कवच सूर्य से आने वाली गर्मी और प्रकाश से तथा कुछ मात्रा में पृथ्वी से आने वाली अवरक्त विकिरणों से दूरदर्शी की रक्षा करेगी। L2 बिंदु के आसपास स्थित JWST की कक्षा की त्रिज्या बहुत अधिक (८ लाख कि.मी.) है, जिस कारण पृथ्वी के किसी भी हिस्से की छाया इस पर नहीं पड़ेगी। सूर्य की अपेक्षा पृथ्वी से काफी करीब होने के बावजूद JWST पर कोई ग्रहण नहीं लगेगा। .
देखें दूरदर्शी और जेम्स वेब खगोलीय दूरदर्शी
विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम
विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम (electromagnetic spectrum) में उन सारी आवृत्तियों के विकिरण आते हैं जो सम्भव हैं। किसी वस्तु का विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम, उस वस्तु से विद्युत चुम्बकीय विकिरणों का अभिलक्षणिक वितरण या प्रायः केवल वर्णक्रम होता है। विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम निम्न आवृत्तियों, जो कि नूतन रेडियो में प्रयोग होतीं हैं (तरंग दैर्घ्य के दीर्घ सिरे पर), से लेकर गामा विकिरण तक (लघु सिरे तक) होता है, जो कि सहस्रों किलोमीटर की तरंगदैर्घ्य से लेकर एक अणु के नाप के एक अंश के बराबर तक की सारी आवृत्तियों को लिये होता है। हमारे ब्रह्माण्ड में लघु तरंगदैर्घ्य सीमित है प्लैंक दूरी के आसपास तक; और दीर्घ तरंग दैर्घ्य सीमित है, ब्रह्माण्ड के आकार तक। वैसे वर्णक्रम को असीमित एवं अविराम ही कहते हैं। .
देखें दूरदर्शी और विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम
खगोल शास्त्र
चन्द्र संबंधी खगोल शास्त्र: यह बडा क्रेटर है डेडलस। १९६९ में चन्द्रमा की प्रदक्षिणा करते समय अपोलो ११ के चालक-दल (क्रू) ने यह चित्र लिया था। यह क्रेटर पृथ्वी के चन्द्रमा के मध्य के नज़दीक है और इसका व्यास (diameter) लगभग ९३ किलोमीटर या ५८ मील है। खगोल शास्त्र, एक ऐसा शास्त्र है जिसके अंतर्गत पृथ्वी और उसके वायुमण्डल के बाहर होने वाली घटनाओं का अवलोकन, विश्लेषण तथा उसकी व्याख्या (explanation) की जाती है। यह वह अनुशासन है जो आकाश में अवलोकित की जा सकने वाली तथा उनका समावेश करने वाली क्रियाओं के आरंभ, बदलाव और भौतिक तथा रासायनिक गुणों का अध्ययन करता है। बीसवीं शताब्दी के दौरान, व्यावसायिक खगोल शास्त्र को अवलोकिक खगोल शास्त्र तथा काल्पनिक खगोल तथा भौतिक शास्त्र में बाँटने की कोशिश की गई है। बहुत कम ऐसे खगोल शास्त्री है जो दोनो करते है क्योंकि दोनो क्षेत्रों में अलग अलग प्रवीणताओं की आवश्यकता होती है, पर ज़्यादातर व्यावसायिक खगोलशास्त्री अपने आप को दोनो में से एक पक्ष में पाते है। खगोल शास्त्र ज्योतिष शास्त्र से अलग है। ज्योतिष शास्त्र एक छद्म-विज्ञान (Pseudoscience) है जो किसी का भविष्य ग्रहों के चाल से जोड़कर बताने कि कोशिश करता है। हालाँकि दोनों शास्त्रों का आरंभ बिंदु एक है फिर भी वे काफ़ी अलग है। खगोल शास्त्री जहाँ वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करते हैं जबकि ज्योतिषी केवल अनुमान आधारित गणनाओं का सहारा लेते हैं। .
देखें दूरदर्शी और खगोल शास्त्र
आकाशगंगा
स्पिट्ज़र अंतरिक्ष दूरबीन से ली गयी आकाशगंगा के केन्द्रीय भाग की इन्फ़्रारेड प्रकाश की तस्वीर। अलग रंगों में आकाशगंगा की विभिन्न भुजाएँ। आकाशगंगा के केंद्र की तस्वीर। ऍन॰जी॰सी॰ १३६५ (एक सर्पिल गैलेक्सी) - अगर आकाशगंगा की दो मुख्य भुजाएँ हैं जो उसका आकार इस जैसा होगा। आकाशगंगा, मिल्की वे, क्षीरमार्ग या मन्दाकिनी हमारी गैलेक्सी को कहते हैं, जिसमें पृथ्वी और हमारा सौर मण्डल स्थित है। आकाशगंगा आकृति में एक सर्पिल (स्पाइरल) गैलेक्सी है, जिसका एक बड़ा केंद्र है और उस से निकलती हुई कई वक्र भुजाएँ। हमारा सौर मण्डल इसकी शिकारी-हन्स भुजा (ओरायन-सिग्नस भुजा) पर स्थित है। आकाशगंगा में १०० अरब से ४०० अरब के बीच तारे हैं और अनुमान लगाया जाता है कि लगभग ५० अरब ग्रह होंगे, जिनमें से ५० करोड़ अपने तारों से जीवन-योग्य तापमान रखने की दूरी पर हैं। सन् २०११ में होने वाले एक सर्वेक्षण में यह संभावना पायी गई कि इस अनुमान से अधिक ग्रह हों - इस अध्ययन के अनुसार आकाशगंगा में तारों की संख्या से दुगने ग्रह हो सकते हैं। हमारा सौर मण्डल आकाशगंगा के बाहरी इलाक़े में स्थित है और आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा कर रहा है। इसे एक पूरी परिक्रमा करने में लगभग २२.५ से २५ करोड़ वर्ष लग जाते हैं। .
देखें दूरदर्शी और आकाशगंगा
यह भी देखें
खगोलीय उपकरण
- तारेक्ष
- दूरदर्शी
- रेडियो दूरदर्शक
- शंकुक
- सूर्य दूरबीन
- सेक्सटैन्ट सर्वेक्षण
- सैक्स्टैंट
- स्पेक्ट्रम सूर्यचित्री
- स्पेक्ट्रमी सूर्यदर्शी
खगोलीय चित्रण
- खगोलीय फोटोग्राफी
- दूरदर्शी
- पराबैंगनी खगोलिकी
- रेडियो खगोलशास्त्र
- रेडियो दूरदर्शक
- सैद्धांतिक खगोल शास्त्र
दूरबीन के रूप में भी जाना जाता है।