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उदयपुर के पर्यटन स्थल

सूची उदयपुर के पर्यटन स्थल

उदयपुर को पहले मेवाड़ के नाम से जाना जाता था। इस शहर ने बहुत कम समय में देश को कई देशभक्त दिए हैं। यहाँ का मेवाड़ राजवंश अपने को सूर्य से जोड़ता है। यहाँ का इतिहास निरंतर संघर्ष का इतिहास रहा है। यह संघर्ष स्वतंत्रता, स्वाभिमान तथा धर्म के लिए हुआ। संघर्ष कभी राजपूतों के बीच तो कभी मुगल तथा अन्य् शासकों के साथ हुआ। यहां जैसी देशभक्‍ित, उदार व्यवहार तथा स्वतंत्रता के लिए उत्कृष्ट इच्छा किसी दूसरे जगह देखने को नहीं मिलती है। उदयपुर जिसे झीलों का शहर कहा जाता है उत्तरी भारत का सबसे आकर्षक पर्यटक शहर माना जाता है। यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बहुत कुछ है। झीलों के साथ मरुभूमि का अनोखा संगम अन्यत्र कहीं नहीं देखने को मिलता है। यह शहर अरावली पहाड़ी के पास राजस्थान में स्थित है। उदयपुर को हाल ही में विश्व का सबसे खूबसूरत शहर घोषित किया गया है। उदयपुर की पोर्टल वेबसाइट है 'वेब उदयपुर'। इस वेबसाइट में उदयपुर के बारे में हर तरह की जानकारियाँ उपलब्ध है। सभी पर्यटन स्थलों का विस्तृत वर्णन है इस का पता है। .

19 संबंधों: एकलिंगजी, नाथद्वारा, नागदा, बगोर की हवेली, उदयपुर, महाराणा प्रताप विमानक्षेत्र, मानसून भवन, उदयपुर, राजसमंद, राजसमंद झील, सरकारी संग्रहालय, उदयपुर, सिटी पैलेस संग्रहालय, उदयपुर, सिटी पैलेस, उदयपुर, हल्दीघाटी, जगदीश मंदिर, उदयपुर, विंटेज कार, उदयपुर, आहर, उदयपुर, कांच गैलेरी, उदयपुर, कांकरोली, उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन, उदयपुर की सात बहनें

एकलिंगजी

एकलिंग राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित एक मंदिर परिसर है। यह स्थान उदयपुर से लगभग १८ किमी उत्तर में दो पहाड़ियों के बीच स्थित है। वैसे उक्त स्थान का नाम 'कैलाशपुरी' है परन्तु यहाँ एकलिंग का भव्य मंदिर होने के कारण इसको एकलिंग जी के नाम से पुकारा जाने लगा। भगवान शिव श्री एकलिंग महादेव रूप में मेवाड़ राज्य के महाराणाओं तथा अन्य राजपूतो के प्रमुख आराध्य देव रहे हैं।मान्यता है कि यहाँ में राजा तो उनके प्रतिनिधि मात्र रूप से शासन किया करते हैं। इसी कारण उदयपुर के महाराणा को दीवाण जी कहा जाता है।ये राजा किसी भी युद्ध पर जाने से पहले एकलिंग जी की पूजा अर्चना कर उनसे आशीष अवश्य लिया करते थे। यहाँ मन्दिर परिसर के बाहर मन्दिर न्यास द्वारा स्थापित एक लेख के अनुसार डूंगरपुर राज्य की ओर से मूल बाणलिंग के इंद्रसागर में प्रवाहित किए जाने पर वर्तमान चतुर्मुखी लिंग की स्थापना की गई थी। इतिहास बताता है कि एकलिंग जी को ही को साक्षी मानकर मेवाड़ के राणाओं ने अनेक बार यहाँ ऐतिहासिक महत्व के प्रण लिए थे। यहाँ के महाराणा प्रताप के जीवन में अनेक विपत्तियाँ आईं, किन्तु उन्होंने उन विपत्तियों का डटकर सामना किया। किन्तु जब एक बार उनका साहस टूटने को हुआ था, तब उन्होंने अकबर के दरबार में उपस्थित रहकर भी अपने गौरव की रक्षा करने वाले बीकानेर के राजा पृथ्वी राज को, उद्बोधन और वीरोचित प्रेरणा से सराबोर पत्र का उत्तर दिया। इस उत्तर में कुछ विशेष वाक्यांश के शब्द आज भी याद किये जाते हैं: .

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नाथद्वारा

श्रीनाथद्वारा राजस्थान के राजसमन्द जिले मैं स्थित है। श्रीनाथद्वारा पुष्टिमार्गीय वैष्‍णव सम्‍प्रदाय की प्रधान (प्रमुख) पीठ है। यहाँ नंदनंदन आनन्‍दकंद श्रीनाथजी का भव्‍य मन्‍दिर है जो करोडों वैष्‍णवो की आस्‍था का प्रमुख स्‍थल है, प्रतिवर्ष यहाँ देश-विदेश से लाखों वैष्‍णव श्रृद्धालु आते हैं जो यहाँ के प्रमुख उत्‍सवों का आनन्‍द उठा भावविभोर हो जाते हैं। नाथद्वार के निकट मावली रेल जंक्शन स्थित है। नाथद्वार में एक कृषि बाज़ार है तथा यहां राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध एक सरकारी महाविद्यालय है। श्रीनाथजी का तकरीबन 337 वर्ष पुराना मन्‍दिर राष्‍ट्रीय राजमार्ग पर स्थित रोडवेज बस स्‍टेण्‍ड से मात्र 1 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। जहाँ से मन्‍दिर पहुँचने के लिए निर्धारित मूल्‍य पर (वर्तमान में प्रति व्‍यक्ति 5 रूपये) सार्वजनिक परिवहन ऑटो रिक्‍शा सेवा उपलब्‍ध है। श्रीनाथद्वारा दक्षिणी राजस्‍थान में 24/54 अक्षांश 73/48 रेखांश पर अरावली की सुरम्‍य उपत्‍यकाओं के मध्‍य विश्‍वप्रसिद्ध झीलों की नगरी उदयपुर से उत्तर में 48 किलोमीटर दूर राष्‍ट्रीय राजमार्ग संख्‍या 8 पर स्‍थित है। श्रीनाथद्वारा से उत्तर:- श्रीनाथद्वारा के उत्तर में राजसमन्‍द (17) अजमेर (225) पुष्‍कर (240) जयपुर (385) देहली (625) प्रमुख शहर हैं। दक्षिण:- श्रीनाथद्वारा के दक्षिण में उदयपुर (48) अहमदाबाद (300) बडौदा (450) सूरत (600) मुम्‍बई (800) स्थित हैं। पूर्व:- श्रीनाथद्वारा के पूर्व में मंडियाणा ((रेल्‍वे स्‍टेशन (12)) मावली ((रेल्‍वे स्‍टेशन (28)) चित्तौडगढ (110) कोटा (180) स्थित हैं। पश्चिम:- फालना (180) जोधपुर (225) स्थित हैं। बस सेवा:- श्रीनाथद्वारा के उत्तर, दक्षिण, पूर्व, प‍श्चिम में स्थित सभी प्रमुख शहरों से सीधी बस सेवा उपलबध है। ट्रेन सेवा:- श्रीनाथद्वारा के निकटवर्ती रेल्‍वे स्‍टेशन मावली (28) एवं उदयपुर (48) से देश के प्रमुख शहरों के लिए ट्रेन सेवा उपलब्‍ध है। वायु सेवा:- श्री‍नाथद्वारा के निकटवर्ती हवाई अड्डे डबोक (48) से देश के प्रमुख शहरों के लिए वायुयान सेवा उपलब्‍ध है। .

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नागदा

नागदा मध्य प्रदेश में उज्जैन से लगभग 30 मील उत्तर-पश्चिम में, पश्चिम रेलवे के मुम्बई-दिल्ली मार्ग पर, चम्बल नदी के तट पर स्थित है। यह एकलिंगजी से कुछ पहले स्थित है। नागदा का प्राचीन शहर कभी रावल नागादित्यए की राजधानी थी। वर्तमान में यह एक छोटा सा गांव है। यह गांव 11वीं शताब्दीक में बने 'सास-बहू' मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का मूल नाम 'सहस्त्रहबाहु' था जोकि यह नाम विकृत होकर सास-बहू हो गया है। यह एक छोटा सा मंदिर है। लेकिन मंदिर की वास्तुशैली काफी आकर्षक है। मालवा के परमार नरेशों के अभिलेखों में नागदा का प्राचीन नाम नागह्रद मिलता है। नागदा पर किये गये उत्खनन में प्रारंभिक लौह संस्कृति के प्रमाण मिले हैं। नागदा से दस प्रकार के लोह उपकरण मिले हैं। जिनमें दुधारी, कटार, कुल्हाड़ी का मूँठ, चम्मच, चिमटी, कुल्हाड़ी, छल्ला, बाणाग्र, चाकू और हँसिया उल्लेखनीय हैं। नागदा और एरण के उत्खननों एवं अन्य स्थलों की खुदाई के आधार पर उस पुराने मत को औचित्यपूर्ण नहीं माना गया है, जिनमें इन पुरा स्थलों पर ताम्रपाषाणिक संस्कृति की परिसमाप्ति के तत्काल बाद ऐतिहासिक युग की संस्कृति का प्रारम्भ माना जाता है। अब यह तथ्य संस्थापित हुआ है कि इन पुरा स्थलों पर भी, जहाँ पर संस्कृति के सातत्य की बात कही गयी थी, ऐसे प्रमाण मिलते हैं, जिनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि ताम्रपाषाणिक संस्कृति की परिसमाप्ति और प्रारम्भिक ऐतिहासिक युगीन संस्कृति के बीच में अनेक वर्षों का अंतराल रहा होगा। श्रेणी:मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थल श्रेणी:उज्जैन ज़िले के गाँव.

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बगोर की हवेली, उदयपुर

यह पहले उदयपुर के प्रधानमंत्री अमरचंद वादवा का निवास स्थातन था। यह हवेली पिछोला झील के सामने है। इस हवेली का निर्माण 18वीं शताब्दीद में हुआ था। इस हवेली में 138 कमरे हैं। इस हवेली में हर शाम को 7 बजे मेवाड़ी तथा राजस्थारनी नृत्यन का आयोजन किया जाता है। प्रवेश शुल्क‍: 25 रु.

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महाराणा प्रताप विमानक्षेत्र

महाराणा प्रताप हवाई अड्डा या उदयपुर हवाई अड्डा या दाबोक हवाई अड्डा (आईएटीए: UDR, आईसीएओ: VAUD) उदयपुर, राजस्थान,भारत में स्थित एक घरेलू हवाई अड्डा है। यह 22 किमी की दूरी पर उदयपुर (14 मील) पूर्व में स्थित है। हवाई अड्डे का नाम भारत के राजस्थान राज्य के मेवाड़ की रियासत के एक शासक महाराणा प्रताप के नाम पर रखा गया। .

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मानसून भवन, उदयपुर

इसे मूल रूप से सज्जहन घर के नाम से जाना जाता था। इसे सज्जथन सिंह ने 19 वीं शताब्दी में बनवाया था। पहले यह वेधशाला के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यह एक लॉज के रूप में तब्दील हो चुका है। लोकेशन: शहर से 8 किलोमीटर पश्‍िचम में समय: सुबह 10बजे से 6 बजे तक। सभी दिन खुला। श्रेणी:उदयपुर के पर्यटन स्थल श्रेणी:उदयपुर.

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राजसमंद

(66 किलोमीटर उत्तर पूर्व) राजसमंद झील कंकरोली तथा राजसमंद शहरों के बीच स्थित है। इस झील की स्थाकपना 17वीं शताब्दीय में मेवाड़ के महाराणा राजसिंह ने की थी। इस झील का निर्माण गोमती, केलवा तथा ताली नदियों पर डैम बनाकर किया गया है। कंकरोली में झील के तट पर द्वारकाधीश कृष्णा का मंदिर है। यहां जाने के लिए उदयपुर से सीधी बस सेवा है। .

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राजसमंद झील

यह उदयपुर से ६० किलोमीटर उत्तर में राजसमन्द जिलें में स्थित है यह भारत की दूसरी सबसे बडी कृत्रिम झील है। यह झील 88 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। महाराणा राजसिंह ने इस झील का निर्माण 17वीं शताब्दी में गोमती नदी पर बांध बनाकर किया था। इसके तटबंध पर मार्बल का एक स्माीरक है जिस पर महाराणा राजसिंह ने प्रसिद्द शिलालेख राज प्रशस्ती लिखाया था तथा पहाड पर बने महल का नाम राजमन्दिर है। --Gopal singh solanki (वार्ता) 11:58, 16 फ़रवरी 2012 (UTC).

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सरकारी संग्रहालय, उदयपुर

इस संग्रहालय में मेवाड़ से संबंधित शिलालेख रखे हुए हैं। ये शिलालेख दूसरी शताब्दी.

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सिटी पैलेस संग्रहालय, उदयपुर

इस संग्रहालय में प्रवेश करते ही आप की नजर कुछ बेहतरीन चित्रों पर पड़ेगी। ये चित्र श्रीनाथजी, एकलिंगजी तथा चतुर्भुजजी के हैं। यह सभी चित्र मेवाड़ शैली में बने हुए हैं। इसके बाद महल तथा चौक मिलने आरम्भ होते हैं। इन सभी में इनके बनने का समय तथा इन्हें बनाने वाले का उल्लेख मिलता है। सबसे पहले राज्य आंगन मिलता है। इसके बाद चंद्र महल आता है। यहां से पिछोला झील का बहुत सुंदर नजारा दिखता है। बादी महल या अमर विलास महल पत्थरों से बना हुआ है। इस भवन के साथ बगीचा भी लगा हुआ है। कांच का बुर्ज एक कमरा है जो लाल रंग के शीशे से बना हुआ है। कृष्णाु निवास में मेवाड़ शैली के बहुत से चित्र बने हुए है। इसका एक कमरा जेम्से टोड को समर्पित है। इसमें टोड का लिखा हुआ इतिहास तथा उनके कुछ चित्र हैं। मोर चौक का निर्माण 1620 ई. में हुआ था। 19वीं शताब्दी में इसमें तीन नाचते हुए हिरण की मूर्त्ति स्थापित की गई। जनाना महल राजपरिवार की महिलाओं का निवास स्थान था। लोकेशन: जगदीश मंदिर से 150 मीटर दक्षिण में। प्रवेश शुल्क:: वयस्कों के लिए 50 रु.

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सिटी पैलेस, उदयपुर

सिटी पैलेस की स्थापना १६वीं शताब्दी में आरम्भ हुई। इसे स्थापित करने का विचार एक संत ने राजा उदयसिंह द्वितीय को दिया था। इस प्रकार यह परिसर ४०० वर्षों में बने भवनों का समूह है। यह एक भव्य परिसर है। इसे बनाने में २२ राजाओं का योगदान था। इस परिसर में प्रवेश के लिए टिकट लगता है। बादी पॉल से टिकट लेकर आप इस परिसर में प्रवेश कर सकते हैं। परिसर में प्रवेश करते ही आपको भव्य त्रिपोलिया गेट' दिखेगा। इसमें सात आर्क हैं। ये आर्क उन सात स्मवरणोत्सैवों का प्रतीक हैं जब राजा को सोने और चांदी से तौला गया था तथा उनके वजन के बराबर सोना-चांदी को गरीबों में बांट दिया गया था। इसके सामने की दीवार 'अगद' कहलाती है। यहां पर हाथियों की लड़ाई का खेल होता था। इस परिसर में एक जगदीश मंदिर भी है। इसी परिसर का एक भाग सिटी पैलेस संग्रहालय है। इसे अब सरकारी संग्रहालय घोषित कर दिया गया है। वर्तमान में शम्भूक निवास राजपरिवार का निवास स्थानन है। इससे आगे दक्षिण दिशा में 'फतह प्रकाश भ्‍ावन' तथा 'शिव निवास भवन' है। वर्तमान में दोनों को होटल में परिवर्तित कर दिया गया है। .

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हल्दीघाटी

हल्दीघाटी इतिहास में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुए युद्ध के लिए प्रसिद्ध है। यह राजस्थान में एकलिंगजी से 18 किलोमीटर की दूरी पर है। यह अरावली पर्वत शृंखला में एक दर्रा (pass) है। यह राजसमन्द और पाली जिलों को जोड़ता है। यह उदयपुर से ४० किमी की दूरी पर है। इसका नाम 'हल्दीघाटी' इसलिये पड़ा क्योंकि यहाँ की मिट्टी हल्दी जैसी पीली है। .

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जगदीश मंदिर, उदयपुर

जगदीश मन्दिर (उदयपुर) जगदीश मंदिर उदयपुर के मध्य में स्थित एक विशाल मंदिर है। इसका निर्माण १६५१ में समाप्त हुआ। उदयपुर में यह पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है। यह मंदिर मारू-गुजराना स्थापत्य का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें विष्णु की मूर्त्ति स्थापित है। .

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विंटेज कार, उदयपुर

सिटी पैलेस परिसर से 2 किलोमीटर की दूरी पर विंटेज तथा अन्य पुरानी कारों का अच्छा संग्रह है। यहां करीब दो दर्जन कारें पर्यटकों को देखने के‍ लिए रखी हुई हैं। इन कारों में 1934 ई. की रॉल्सह रायल फैंटम भी है। तथा 1939 ई. में काडिलेक कन्वेर्टिवल भी है। 1939 ई. में जब जैकी कैनेडी उदयपुर के दौरे पर आए थे तो इसी कार से घूमे थे। प्रवेश शुल्कम: 150 रु.

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आहर, उदयपुर

इसका उपयोग मेवाड़ के राजपरिवार के लोगों के कब्रिस्ताबन के रूप में होता है। यहां मेवाड़ के 19 शासकों का स्माषरक है। ये स्मामरक चार दशकों में बने हैं। यहां सबसे प्रमुख स्माेरक महाराणा अमर सिंह का है। अमर सिंह ने सिंहासन त्यायगने के बाद अपना अंतिम समय यहीं व्य तीत किया था। इस स्थामन का संबंध हड़प्पा सभ्य ता से भी जोड़ा जाता है। यहां एक पुरातात्विक संग्रहालय भी है। लोकेशन: शहर से 2 किलोमीटर पूर्व में प्रवेश शुल्क:: 3 रु.

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कांच गैलेरी, उदयपुर

यह गैलेरी धन के अपव्यिय को दर्शाती है। राणा सज्ज न सिंह ने 1877 ई. में इंग्लैाण्डक के एफ एंड सी ओसलर एण्ड। कंपनी से कांच के इन सामानों की खरीदारी की थी। इन सामानों में कांच की कुर्सी, बेड, सोफा, डिनर सेट आदि शामिल था। बाद के शासकों ने इन सामानों को सुरक्षित रखा। अब इन सामानों को फतह प्रकाश भवन के दरबार हॉल में पर्यटकों को देखने के लिए रखा गया है। लोकेशन: फतह प्रकाश महल प्रवेश शुल्क:: वयस्कोंा के लिए 325 रु.

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कांकरोली

कांकरोली कांकरोली राजसमन्द जिलें में स्थित एक शहर है यहां प्रसिद्द द्वारकाधीश जी का मन्दिंर है यहां से १किलोमीटर दुर ही राजसमन्द झिल स्थित है यहां पर प्रसिद्व टायर जे.के.टायर फेक्ट्री स्थित है .

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उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन

उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन भारतीय रेल का एक रेलवे स्टेशन है। यह उदयपुर शहर में स्थित है। इसकी ऊंचाई मी.

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उदयपुर की सात बहनें

उदयपुर के शासक ने जल के महत्व को समझते हुए कई बांधों और जलकुण्डों का निर्माण करवाया था। ये कुण्ड तत्कालीन समय के विकसित इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट नमूना हैं। पिछोला झील, दूध थाली, गोवर्धन सागर, कुमारी तालाब, रंगसागर झील, स्वरुप सागर तथा फतेह सागर झील यहां की सात प्रमुख झीलें हैं। इन्हें सामूहिक रूप से उदयपुर की सात बहनों के नाम से जाना जाता है। ये झीलें कई शताब्दियों से उदयपुर की जीवनरेखा हैं। ये झीलें एक-दूसरें से जुड़ी हुई हैं। एक झील में पानी अधिक होने पर उसका पानी अपने आप दूसरे झील में चला जाता है। श्रेणी:उदयपुर श्रेणी:उदयपुर के पर्यटन स्थल.

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उदयपुर के दर्शनीय स्थल

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